Monday, August 29, 2011

सांसदों को भी बुरा लगता हैं!

जब माननीय शरद यादवजी संसद में बोल रहे थे, तो उस समय मेरे साथ उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र का एक साथी मेरे साथ था। शरद यादवजी के लिए मेरे मन में काफी आदरभाव था, लेकिन मेरे साथी ने बताया की उसे पता नहीं क्या कम किया हैं।
माननीय संसद महोदय अपने क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों जहाँ के छात्र ठीक से पढ़ भी नहीं पाते तब आपको शर्म नहीं आती। आपके क्षेत्र में किसान भूख से मर जाते हैं, कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर लेते फिर आपको शर्म क्यूँ नहीं आती।
आपके क्षेत्र में गरीब लोगों से भी जब सरकारी अस्पताल में फीस लिया जाता हैं फिर आप कहा सो रहे होते हैं।
क्या क्या लिख कर बताएँ यहाँ, जहाँ आपको ठेस लगनी चाहिए थी, लेकिन नहीं लगा।
दुखों से पीड़ित लोग तो भगवान् को भी कोसते हैं, न जाने क्या क्या कह जाते हैं, फिर आप तो सांसद हैं, धरती के भगवान्। यदि जनता आपको जली कटी सुना भी दिया तो उसको अपना मानहानि क्यूँ समझ रहे हैं, जनता के दर्द को समझिये, उसके लिए कुछ कीजिये। आपके तौहीन में तो जनता का खुद का तौहीन हैं।
इसलिए माननीय सांसद महोदय संसद भवन का अमूल्य समय न बर्बाद करते हुए, देश के विकास के महत्वपूर्ण विषयों पे ही विचार करें और जनता के दर्द को दूर करने का प्रयास करें, तो वहोई सम्मानीय व्यवहार होगा और समझदारी भी।
अभिनेता "ओमपुरी' के साथ मेरी सहानुभूति हैं और उनका जीवन गरीबों के लिए प्रेरणादाई।

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