Tuesday, August 14, 2012

मेरे सपने


स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर आप सभी को बधाई. 
देश की आज़ादी के लिए हँसते हँसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले महान नायकों को हम नमन करते हैं. उनका बलिदान हमें अपने देश को सुन्दर बनाने के लिए प्रेरणा देता रहे, ऐसा हम कामना करते हैं. भगत सिंह, सुखराम, सुभाष, लक्ष्मीबाई, आंबेडकर का बलिदान व्यर्थ न जाएँ. 
देश पे मर मिटने वालों ने देश को खुशहाल देखने का सपना देखा करते थे. आज का परिस्थिति देख ऐसा लगता हैं उनका वो सपना अधुरा हैं. क्या इस सुअवसर पर हम सपना देखने का साहस कर सकते हैं? आइये हम सब ये सपना देखे, एक सुनहरे भारत का. 
भारत की शिक्षा व्यवस्था सुधरे. प्राथमिक विद्यालय से विश्वविद्यालय तक की गुणवत्ता बढे और सबमें भारतियों का जीवन स्तर कैसे सुधरे ऐसी शिक्षा की व्यवस्था हो. 
गॉव के, शहर के, देश के प्रबुद्ध लोग ईमानदार व देश के, आम लोगो के चिंता करने वाले हो. 
सत्ता का विकेंद्रीकरण हो, मगर इसका मतलब यह न रहे की सत्ता ग्राम प्रधान के हाथों में चला जाये. विकेंद्रीकरण का अर्थ आम जनता को जागरूक कर उसे अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह बनाना भी हो. धनी लोग गरीब का बाना (बी० पी० एल०) पहन कर गरीबों का निबाला न छीनें. व्यक्ति अपनी जाति को पहचाने. जो चमड़े का काम करें वही चमार हो, जो पढाने का काम करे वह शिक्षक. जो लोहे का काम करें वह लोहार हो, जो लोगो का इलाज करे वह डॉक्टर. फिर चमार, लोहार, धोबी को दिए गए सुविधा जैसे आरक्षण का लाभ शिक्षक, डॉक्टर, मंत्री, संत्री, राष्ट्रपति न उठायें.
देश के अविकसित इलाकों में भी विकास हो. वह रेलवे लाइन हो. सड़क मार्ग हो. अच्छे विद्यालय खुले. अच्छा विश्वविद्यालय खुले, 
देश में पिछड़े ईलाको के उद्योग धंधे से मिले लाभ का एक बड़ा भाग उसी क्षेत्र के विकास में लगे. वहां के विकास में वहां के लोगो से भी मंत्रणा की जाये. जंगलों पर ग्राम सभा का अधिकार हो. 
मजदूरों का जीवन स्तर सुधरे. अवैध खनन कर मजदूरों के जीवन को खतरा में न डाले. मजदूरों को उचित मजदूरी मिले. मजदूरों को शिक्षा दी जाये. कम्पनी उनके सोच को बढाने के यत्न करें ताकि वे मेहनत से कमाए धन को दारू शराब पर न खर्च कर बल्कि अपने परिवार, बच्चो के भलाई के लिए खर्च करें. मजदूरी के साथ साथ मजदूरों के बच्चो की भी पढाई की अच्छी सुविधा दी जाये, चिकित्सा की सुविधा दी जाये. मजदूरो के मानसिक स्तर बढाया जाये ताकि वे समाज के किसी तबके के साथ स्वाभिमान के साथ बात कर सके, अपनी समस्या को रख सकें. कार्यक्षेत्र पर मजदूरों को उचित सुविधा दी जाये. 
उचित ड्रेस में मजदुर खदानों में, पॉवर प्लांटों में काम करें. हमारे सुरक्षा कर्मचारी जागरूक हो और मजदूरो को सुरक्षा से सम्बंधित सभी उपकरण उपलब्ध करवाए, तभी वे मजदूरों को काम करने की इजाजत दे.
खुशहाल मजदुर, शिक्षित भारत, जागरूक नागरिक, ईमानदार अधिकारीगण, खेतों में लहलहाते फसल ऐसा हो अपना भारत. आओ हम नमन करें ऐसे भारत को और ऐसे भारत के निर्माण में जुट जाएँ. 

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